संज्ञानात्मक स्वास्थ्य में निवेश करना आपकी पूरे जीवन भर प्राथमिकता होनी चाहिए...
याददाश्त में कमी होना उम्र बढ़ने का अनिवार्य परिणाम नहीं है।1,2,3 जहाँ उम्र स्मरणशक्ति को प्रभावित कर सकती है, खासकर 50 के दशक में4 वहीं बहुत कम लोगों को इस बात का एहसास होता है कि इसे लेकर वे कुछ कर सकते हैं।2 2019 की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि उम्र से जुड़ी स्मरणशक्ति में कमी बुढ़ापे का स्वाभाविक या अनिवार्य परिणाम नहीं है।1 WHO की रिपोर्ट धूम्रपान बंद करने, शराब का त्याग करने और व्यायाम करने जैसे जीवन-शैली में परिवर्तनों की पुरजोर अनुशंसा करती है। इसके अलावा यह रिपोर्ट सामान्य संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली एवं हल्के संज्ञानात्मक विकारों वाले बुजुर्ग वयस्कों में संज्ञानात्मक कमी और/या मनोभ्रंश के जोखिम को कम करने के लिए संज्ञानात्मक प्रशिक्षण की अनुशंसा करती है। वयस्कों में मानसिक कार्यप्रणाली को बनाए रखने के लिए सुरक्षित और वहनीय उपाय के रूप में संज्ञानात्मक एवं स्मरणशक्ति के प्रशिक्षण का समर्थन करने वाले साक्ष्य बढ़ रहे हैं।6-19 न्यूरोप्लासटिसिटी कार्यप्रणाली को बनाए रखने की कुंजी है। मस्तिष्क पूरे जीवन भर, बचपन से लेकर जीवन में आगे चलकर और यहाँ तक कि उन लोगों में भी जिनमें न्यूरोडिजेनेरेटिव विकार पाए जाते हैं, ढाँचागत और कार्यप्रणालीगत दोनों ही ढंग से अनुकूलन कर सकता है।20,21,22 सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह है कि समय रहते निवारण रणनीतियों को क्रियान्वित किया जाए। लक्षणों के प्रकट होने से काफी पहले न्यूरोनल की हानि से स्मरणशक्ति में परिवर्तन होता है।3,4,23 अतः, आप जितना अधिक प्रभावी ढंग से प्रशिक्षित करते हैं उतना ही अधिक लाभ प्राप्त होता है; संज्ञानात्मक कमी की आपकी सीमा-रेखा में वृद्धि करने वाली संज्ञानात्मक गतिविधि के साथ वैकल्पिक तरीके उपलब्ध करने के द्वारा जिनसे याददाश्तों को निर्मित और पुनःस्थापित किया जा सकता है, । इसका हवाला अक्सर संज्ञानात्मक रिजर्व/लचीलेपन के रूप में दिया जाता है।19,24-28 संदर्भ |
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